भारतीय न्याय संहिता (BNS) 2023 की धारा - 53
(दुष्प्रेरित कार्य से कारित उस प्रभाव के लिए दुष्प्रेरक का दायित्व जो दुष्प्रेरक द्वारा आशयित से भिन्न हो)
जब कि कार्य का दुष्प्रेरण दुष्प्रेरक द्वारा किसी विशिष्ट प्रभाव को कारित करने के आशय से किया जाता है और दुष्प्रेरण के परिणामस्वरूप जिस कार्य के लिए दुष्प्रेरक दायित्व के अधीन है, वह कार्य दुष्प्रेरक के द्वारा आशयित प्रभाव से भिन्न प्रभाव कारित करता है तब दुष्प्रेरक कारित प्रभाव के लिए उसी प्रकार और उसी विस्तार तक दायित्व के अधीन है, मानो उसने उस कार्य का दुष्प्रेरण उसी प्रभाव को कारित करने के आशय से किया हो, परन्तु यह तब जब कि वह यह जानता था कि दुष्प्रेरित कार्य से यह प्रभाव कारित होना सम्भाव्य है।
उदाहरण-राम को घोर उपहति करने के लिए राजेश को मोहन उकसाता है। राजेश उस उकसाहट के परिणामस्वरूप राम को घोर उपहति कारित करता है। परिणामतः राम की मृत्यु हो जाती है। यहां, यदि मोहन यह जानता था कि दुष्प्रेरित घोर उपहति से मृत्यु कारित होना सम्भाव्य है, तो मोहन हत्या के लिए उपबन्धित दण्ड से दण्डनीय है।
अपराध का वर्गीकरण
सजा : वही जो दुष्प्रेरित अपराध के लिए है
संज्ञान: संज्ञेय है या असंज्ञेय उस न्यायालय द्वारा द्वारा विचारणीय है
जमानत: जमानतीय है या अजमानतीय उस न्यायालय द्वारा द्वारा विचारणीय है
विचारणीय: उस न्यायालय द्वारा विचारणीय है जिसके द्वारा दुष्प्रेरित अपराध विचारणीय है -
अशमनीय: समझौता करने योग्य नहीं
(IPC) की धारा 113 को (BNS) की धारा 53 में बदल दिया गया है। - अगर आप चाहे तो लोगो पर क्लिक करके देख सकते हैं। |